Wednesday, November 7, 2012

इन्टरनेट ब्राउजर - इपिक

                                       इन्टरनेट ब्राउजर -  इपिक




ब्राउजर के बिना इन्टरनेट की दुनिया ही अधूरी है /  भारतीय नेट उपयोक्ता को लम्बे समय से से एक भारतीय ब्राउजर का इंतजार था जिसे ' इपिक ' ने पूरा कर दिया है / भारत में इन्टरनेट को 15 वर्ष हो गए है / आइये जानते हैं इपिक की खूबियाँ : 
   'इपिक' पहला ऐसा निःशुल्क ब्राउजर है जिसमे इनबिल्ट एंटी वायरस और एंटी स्पाईवेयर स्कैनिंग की सुविधा है / उपयोक्ताओ को साईट सर्फिंग के दौरान ईसईटी का यह एंटी वायरस बेहतरीन सुरक्षा मुहैया करता है / इपिक इकलौता ऐसा ब्राउजर है जो हिंदी , तमिल, गुजराती, तेलगु, मलयालम , मराठी , कन्नड़ , बंगाली , उर्दू और पंजाबी समेत १२ भाषाओ को पूरी तरह से सपोर्ट करता है / आप इसी ब्राउजर में इन १२ भाषाओ में लिख सकते हैं / इस  ब्राउजर की विशेषता यह है की आप रोमन लिपि में लिखिए ब्राउजर उसे हिंदी , मराठी , गुजराती  आदि में भाषाओ में बदल देगा यानि इसमें ट्रांस्लेसन की सुविधा है / फाईल बैक अप और माई कंप्यूटर जैसी सुविधाए भी ब्राउजर में निहित हैं /
   भारतीय नेट यूजर्स की जरूरतों और आदतों के मद्देनजर ब्राउजर बनाया गया है / लिहाजा इसमें फेसबुक , आर्कुट और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का लिंक ब्राउजर के साइड बार में हैं / ब्राउजर खोलते ही आप इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स की दुनिया में भी पहुँच जाते हैं /  (यदि पासवर्ड सेव है तो ) जी मेल और याहू मेल सेवा तक भी ब्राउजर के एक लिंक की मदद से पहुंचा जा सकता है / इसके लिए ब्राउजर में अलग विंडो खोलने की आवश्यकता नहीं है / ब्राउजर के बायीं तरफ बने पैनल में सबसे ऊपर इंडिया नाम का एक लिंक है जिसमे अनेक जगह से खबरों को इकठ्ठा कर एक स्थान पर रखा जाता है / हिंदी , अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओ में समाचारों की व्यवस्था है / ब्राउजर के जरिये आप यु-ट्यूब के विडियो देख सकते हैं और यह भी जानकारी रख सकते हैं की आपने हाल फिलहाल कौन से वीडियो देखे / बाकि ब्राउजर में भी प्लगइन इंस्टाल करके ज़्यादातर सुविधा पायी जा सकती है , लेकिन इस ब्राउजर की विशेषता यह है की आपको अलग से प्लगइन इंस्टाल करने की जरुरत नहीं है और ज्यादातर फीचर इनबिल्ट है /

अब गाँवों में भी बहेगी ज्ञान की गंगा

                               अब गाँवों में भी बहेगी ज्ञान की  गंगा 


चलो यूँ करें किसी  रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये .....  के जरिये शायर  ने भोले चेहरों पर मुस्कान लाने का बड़ा काम बताया है। देश के 200 बेहद छोटे गाँवों में मासूम चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए ऐसी ही कोशिश चल रही है। इन गाँवों में लाईब्रेरी के माध्यम से स्कूली बच्चों में पढने की आदत डालने की कोशिश की जा रही है। रूरल रिलेशंस नामक  संस्था  द्वारा संचालित इस कोशिश का मकसद सिर्फ  ग्रामीण स्कूली बच्चो में  रीडिंग हैबिट को बढ़ावा देना  ही नहीं, बल्कि शहर  और गाँवों को नजदीक लाना भी है। शहरी डोनर्स की  मदद से दूरदराज़ के इलाकों में चल रही   लायिब्रेरियां फिलहाल 50 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चों को पाठ्य  पुस्तकों से अलग किताबें  मुहैया करा रही है।इन लाईब्रेरियों को देश के शहरी डोनर्स के अलावा अमेरिका , न्यूज़ीलैंड ,इजराईल और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में मददगार मिल रहे हैं।  अक्षरों के इस  आन्दोलन से  जुड़े रूरल रिलेशंस के प्रदीप लोखंडे के अनुसार , हमारी योजना आने वाले 20 दिनों में प्रतिदिन के हिसाब से 10 गाँवों में रोज़ ज्ञान की लाईब्रेरी शुरू करने की है। 
      फिलहाल इस अभियान के अंतर्गत महाराष्ट्र के ज़्यादातर गाँवों को कवर करने वाले लोखंडे की योजना जल्दी ही एमपी और आन्ध्र प्रदेश में भी ऐसी ही योजना चलाने  की है।   फिलहाल यह अभियान गाँव के  स्कूलों के जरिये चलाया जा रहा है।  बेटे -बेटी में अंतर करने वाले ग्रामीण परिवेश में चल रही इन लाईब्रेरियों की कमान पूरी तरह से लड़कियों के हाँथ में है। लोखंडे बताते हैं की पिछले दिनों ज्ञान की लाईब्रेरी ने इन स्कूली बच्चो के लिए एक ग्लोबल स्टोरी राईटिंग कम्पटीशन आयोजित किया था , जिसे अमेरिका की  स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक अफ़्रीकी बच्ची की अधूरी कहानी को पूरा करने की प्रतियोगिता रखी , जिससे 132 स्कूलों से  3900 से ज्यादा कहानिया आई।  इत्तेफाक से जो सर्वश्रेष्ठ पाँच कहानिया चुनी गयी ,वे लड़कियों ने लिखी  थी।